जनजातिय क्षेत्रों के सहारे बिहार के आर्थिक विकास को मिलेगी रफ़्तार: दिनेश अग्रवाल

जनजातिय क्षेत्रों के सहारे बिहार के आर्थिक विकास को मिलेगी रफ़्तार: दिनेश अग्रवाल

बिहार के प्रसिद्ध समाजसेवी एवं वाल्मीकि नगर लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार दिनेश अग्रवाल ने बिहार के आर्थिक विकास को लेकर महत्वपूर्ण सर्वे करने के बाद एक योजना प्रस्तुत किया है। – बिहार के आर्थिक पिछड़ेपन के कारणों में से एक है व्यापारिक असंतुलन, जब हम बिहार में आर्थिक क्रियाकलापों का अध्ययन करते हैं तो पाते हैं कि अधिक जनसंख्या के कारण यहां कृषि से लेकर औद्योगिक उत्पादों तक की खपत काफी अधिक है जिसमें कृषि उत्पादों में तो यह काफी हद तक आत्मनिर्भर है, लेकिन औद्योगिक उत्पादों का यह एकतरफा आयातक है और निर्यात करने के लिए बिहार के पास कुछ भी नहीं है। जिसका परिणाम यह है कि यहां के लोगों की प्रति व्यक्ति आय पूरे देश में सबसे कम है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि यहां आर्थिक विकास की संभावनाएं बिल्कुल नहीं हैं। यहां की मिट्टी की उर्वरता काफी अच्छी है जिसका परीक्षण रूस तक की प्रयोगशाला में किया गया है जिसमें अनेक ऐसे फलों और अनाजों का उत्पादन हो सकता है जिनकी मांग देश के साथ-साथ वैश्विक बाजारों में भी काफी अच्छी है, और खास तौर पर जनजातीय क्षेत्र ऐसी वस्तुओं के प्रमुख उत्पादक हैं ।इसके अलावा हस्त निर्मित कला एवं शिल्प के साथ-साथ यहां पर्यटन क्षेत्र की भी काफी संभावनाएं हैं जिन्हें विकसित कर बिहार को भी आर्थिक रूप से समृद्ध बनाया जा सकता है। श्री अग्रवाल ने आम के देश भर में उपलब्ध बाजार और मूल्य का उदाहरण देते हुए बताया कि आम के बड़े खरीदार व्यापारियों को आकर्षित कर और कोल्ड स्टोरेज के साथ फूड प्रोसेसिंग पैकेजिंग की व्यवस्था कर यहां के आम उत्पादकों की आय को बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा उन्होंने चंपारण के किसान श्री विजय गिरी द्वारा उगाए जा रहे लाल केले का भी उदाहरण दिया जो उन्होंने सिंगापुर में डेढ डॉलर में एक की दर से खरीदा था। ये तो सिर्फ दो उदाहरण हैं ,जबकि ऐसे सैकड़ो कृषि उत्पादन यहां बहुतायत में उपजाए जा सकते हैं ,बस जरूरत है किसानों को प्रोत्साहन और निर्यात की सुविधा देने की। इसलिए हमारी संस्था मेरा स्वाभिमान जनजातीय क्षेत्र का दौरा कर यहां विकास की संभावनाओं का अध्ययन कर रही है। इसके एवज में हमने महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी को भी ज्ञापन सौंपा है और जब तक यह सभी कार्य सफल नहीं हो जाते हैं हम अपना प्रयास जारी रखेंगे। और इसकी शुरुआत हमने भले ही पश्चिमी चंपारण से की हो लेकिन पूरे बिहार को इस कार्य से जोड़ना हमारा लक्ष्य है।

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